बीते कुछ दिनों से शाहीन बाग़ देश की राजनीति और राजनीतिक बहसों के केंद्र में है। 11 दिसम्बर को संसद में पारित हुए नागरिकता कानून के विरोध में यहां 15 दिसम्बर को महज 14-15 स्थायी महिलाओं ने धरना डाला था जिसकी संख्या आज हज़ारो की तादाद में पहुच चुकी है।लगभग दो महीने से जारी इस विरोध प्रदर्शन के कारण आम जन जीवन तो प्रभावित हुए ही है साथ ही इस विरोध ने कई अन्य राजनैतिक गतिरोधों को चिंगारी देने का भी काम किया है।
गौरतलब है कि देश मे नागरिकता कानून लागू होने के विरोध में जेएनयू,अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय, जामिया आदि विश्वविद्यालयो में कई स्तर पर हिंसक प्रदर्शन हुए जिसने पूरे देश मे सनसनी फैला दी। इन जगहों पे जहां युवाओ ने बढ़ चढ़कर प्रदर्शन किए ,इसके ठीक उलट शाहीन बाग में ज्यादातर उम्रदराज महिलाओं ने और खास तौर पर मुस्लिम महिलाओं ने अपने घरों की चार दीवारी से बाहर निकल इस प्रदर्शन में भाग लिया।
ये कहना गलत नही होगा कि भारत मे यू तो कई आंदोलन हुए,कई विरोध प्रदर्शन हुए है और ईन प्रदर्शनो में महिलाओं ने भी भाग लिया है पर ऐसा पहली बार है जब एक खास समाज की महिलाएं पहली बार अपने घरों से बाहर निकल,अपने धर्म मे विद्यमान नियमो से बाहर निकल अपनी आवाज़ उठाने और इस कानून के विरोध में प्रदर्शन करने सामने आई है।मुस्लिम महिलाओं की स्वतंत्र भागेदारी ने इस कानून के विरोध को एक गति प्रदान की है साथ ही अन्य राजनैतिक गतिरोधों को बढ़ावा देने का कार्य भी किया है।
कानून के विरोध में इन महिलाओं के जुनून का सबसे बड़ा उदाहरण है खुद शाहीन बाग में इनकी मौजूदगी।अपने घरों के दिन भर के काम काज कर ये महिलाएं एक साथ हर रोज शाहीन बाग में जमा होती है,कई बार कई महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी इस भीड़ में नज़र आते है जो अपनी माँ के साथ इस प्रदर्शन में अपनी मौंऊदगी दर्ज करते है।महिलाए खुल कर सामने आई है या किसी खास महत्वकांछा से इन्हें आंदोलन में उतारा गया है ये कह पाना जरा मुश्किल है ।ज्ञात हो कि शाहीन बाग के इस शांति विरोध प्रदर्शन का कोई लीडर नही,और ना ही किसी पार्टी विशेष की देख रेख में ये आंदोलन आगे बढ़ रहा है।मगर ये कहना भी गलत नही होगा कि कई सरकार विरोधी तत्वो तथा कुछ अन्य राजनैतिक छवियों ने इस प्रोटेस्ट को अपने राजनैतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का प्रयास किया है।
ज्यादातर मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी वाले शाहींन बाग के इस प्रोटेस्ट का केंद्र है नागरिकता कानून का विरोध और वर्तमान सरकार को ले असन्तोष।हाल के ही दिनों में देखा जा चुका है कि इस अहिंसक प्रोटेस्ट में भी कुछ हिंसात्मक घटनाये घटित हुई है जिसने लोगो के अंदर दहशत फैलाने का काम किया है।
साथ ही इतने दिनों से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन के कारण आम जन जीवन को काफी क्षति पहुची है और इससे लोगो को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।लोगो की भीड़ ने राजनैतिक तत्वो को अपनी रोटी सेकने का भी मौका दिया जिससे देश की सियासत में काफी उथल पुथल और गतिरोध मचा है।
यू तो इस विषय पर किसी भी प्रकार की टीका टिपण्णी करना असहज सा मालूम जान पड़ता है मगर इतना तो साफ है कि यह विरोध अपने आप मे एक ऐतिहासिक प्रदर्शन है।न केवल इसलिए कि यह इतने दिनों तक जारी है अपितु इसलिए भी की इसमे मुस्लिम महिलाएं पहली बार खुल कर सामने आई है और अपनी बातें समाज के समक्ष खुल कर रख रही है।
अब देखना ये है कि मुस्लिम महिलाओं के बहुमत वाले इस प्रोटेस्ट का परिणाम क्या निकलता है।क्या सरकार हार मान के कानून को वापस ले लेगी या आंदोलनकर्ताओं के प्रयास विफल होंगे।बहरहाल परिणामो पे चर्चा करना हमारा मुख्य उद्देश्य नही और ये आने वाले हालात ही सुनिश्चित करेंगे कि आगे इस कानून के साथ क्या होगा।पर शाहीन बाग का यह विरोध प्रदर्शन अपने आप मे एक ऐतिहासिक प्रदर्शन है और मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि आने वाले समय मे उनकी सामाजिक और राजनीतिक भागेदारी में निस्संदेह बढ़ोतरी ही होगी।
We use cookies to ensure that we give you the best experience on our website. If you continue to use this site we will assume that you are happy with it.Ok