हॉस्पिटल को लेकर हम सबके मन में पहले से ही एक छवि बनी होती है. वहींं बात अगर मैंटल हॉस्पिटल की की जाए तो हम सबके दिमाग में ‘तेरे नाम’ फिल्म वाला टूटा-फूटा, भयानक सा मैंटल हॉस्पिटल सामने आ जाता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे हॉस्पिटल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप सबके मन में बसी वो छवि मिट जाएगी. ये तस्वीर देखिए, ये कोई घर नहीं बल्कि एक हॉस्पिटल है.
इस नर्सिंग होम का नाम लैंटर्न (Lantern) है जो आपको किसी खूबसूरत होटल या घर से कम नहीं लगेगा. इसे घर जैसा बनाने के पीछे यह उद्देशय है कि यहां इलाज के लिए आने वाले बुज़ुर्गों को एक अलग माहौल मिल सके. वे सारी परेशानियों और हॉस्पिटल की किच-किच से दूर अपनी याददाश्त पर फोकस कर सके.
यह हॉस्पिटल कुछ ऐसे बुज़ुर्ग मरीज़ों के लिए भी है जो अपने बच्चों द्वारा अस्वीकार किए गए हैं. ऐसे मानसिक रूप से प्रताड़ित बुज़ुर्गों को यह हॉस्पिटल एक घर जैसा माहौल देता है ताकि वे जल्द से जल्द ठीक हो सकें.
लैंटर्न नर्सिंग होम के सीईओ ‘जीन माकेश’ का कहना है कि इसके ज़रिए वह मानसिक रूप से बीमार बुज़ुर्ग मरीजों का दर्द कम करना चाहते हैं.
सीईओ माकेश का यह भी कहना है कि बुजुर्गों के मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए उन्हें एक अच्छे वातावरण में रहना बेहद ज़रूरी है. इसके साथ ही परिवार को भी उन पर ध्यान देने की ज़रूरत है.
हमारा तो यही मानना है कि अपने घर के बुज़ुर्गों की अच्छे से सेवा कीजिए और उनके लिए समय निकालिए ताकि उनको मैंटल हॉस्पिटल जाने की ज़रूरत ही न पड़े. वैसे इस नर्सिंग होम के कॉन्सेप्ट के कर्ता धर्ता माकेश की जितनी तारिफ हो कम है.