खाने में छिपकली मिलने की शिकायतें
दोस्तों हम सब इस बात से वाकिफ हैं कि भारतीय रेल में पैंट्री कार से लोगों को खाने दिए जाते हैं और कई बार ऐसा हुआ है। कि पैंट्री कार से मिले हुए खाने में बहुत से मिलावट या फिर कई तरह के जानवर पाए जाते थे। जिसकी वजह से अब पैंट्री कार में सुधार किया गया है और स्ट्रिक्टनेस कर दी गई है। इसलिए आप पैंट्री कार का खाना बहुत ही साफ सुथरा रहता है पर कई लोग इस खाने को फ्री में पाने के लिए कई तरह की चालबाजी करते हैं। जिसकी वजह से वह मौका ए वारदात पर दबोचे जाते हैं।
ऐसा ही कुछ एक इंसान ने करने की कोशिश की। परंतु वह अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया। असल में मामला यह है कि रेलवे के एक अधिकारी को बार-बार खाने में छिपकली मिलने की शिकायतें आ रही थी। जब रेलवे अधिकारी ने इस मामले को ध्यान से देखा तो उन्होंने एक समानता पाई। उन्होंने देखा कि सुरेंद्र पाल नाम का एक शख्स है जिसके खाने में बार-बार छिपकली निकल रही थी। उस समय तो अधिकारी ने कुछ कहा नहीं। परंतु दोबारा से उन्हें यह खबर मिली कि 14 जुलाई को फिर से जबलपुर स्टेशन पर उसी शख्स यानी कि सुरेंद्र पाल को समोसे में छिपकली मिली थी और उसने गुंतकल स्टेशन पर शिकायत दर्ज की। उसके बाद उसकी बिरयानी में भी छिपकली मिली थी।
अधिकारी को इन सब बातों की जांच करने पर दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। इस वजह से उन्होंने अपने संदेह के तहत उसकी फोटो सीनियर डीसीएम को भेज दी। तो जब पूरी जांच बिठाई गई तो उन्हें यह पता चला कि इस आदमी की उम्र 70 साल से भी ज्यादा की है और उसे मुफ्त खाना खाना बहुत ही अच्छा लगता है जिस वजह से वह यह सब चालबाजी करता है।
रेलवे स्टेशन पर अपनी शिकायत
जब उसने गुंटकल रेलवे स्टेशन पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई कि उसके बिरयानी में छिपकली है, तो उसी समय पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया। जब उस से पूछताछ की गई, तो पता चला कि वह मानसिक रूप से अस्थिर है। उसे ब्लड कैंसर भी है। उसने अधिकारियों को अपनी पूरी बात बताई। उसने कहा कि वह खाने में एक मछली का इस्तेमाल करता था। यह मछली आम मछली नहीं थी बल्कि आयुर्वेदिक मछली थी। जिससे दिमाग का इलाज चल रहा था। यह दवा के तौर पर उसे अपने पास रखता था। उसने इस बात की भी पुष्टि की कि उसके भी पिता रेलवे में डीसीएम थे।
हमें लगता है कि अधिकारियों को उस पर दया आ गई जिस वजह से उन्होंने उसे बिना कोई कार्यवाही किए छोड़ दिया और उसे इस बात का आश्वासन भी दिया, कि आगे से वह कोई भी ऐसा काम नहीं करेगा। उन्होंने सुरेंद्र पाल को यह भी समझाया कि वह इस तरह की हरकतें कर रहा है जिस वजह से रेलवे पूरी तरह से बदनाम हो रही है। यानी कि एक आदमी की वजह से पूरी रेलवे का नाम खराब हो रहा है। रेलवे उसके परिवार जैसा है इसलिए उसे ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए।