इंसानों की फितरत की बात की जाए तो लोगों को हमेशा कुछ न कुछ जानने की उत्सुकता जरूर रहती हैं। लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं जिसे जानने की इच्छा वो हमेशा रखते हैं हमेशा इस बात की बेचैनी रहती है कि उनके सवालों के जवाब आखिर कहां मिलेंगे। ऐसे ही एक सवाल लोगों के मन में हमेशा उठता है कि आखिर मृत शरीर का पोस्टमार्टम दिन में ही क्यों होता है, इसे रात में क्यों नहीं किया जा सकता है। पर आज आपको बता दें कि इसके पीछे वैज्ञानिक वजह है जिसकी वजह से पोस्टमार्टम हमेशा सुबह होता है।
सबसे पहली बात आखिर में पोस्टमार्टम क्यों किया जाता है तो पोस्टमार्टम एक तरह का ऑपरेशन होता है।मजिसमें मृत शरीर का पूरी तरह से परीक्षण किया जाता है। परीक्षण करने से यह पता चल जाता है कि आखिर में व्यक्ति की मौत की वजह असल में क्या है।
जब भी किसी शरीर का पोस्टमार्टम होता है तो उसके सगे संबंधी की सहमति बहुत ही जरूरी होती हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी मामले होते हैं जिसमें पुलिस अधिकारी भी पोस्टमार्टम करने की इजाजत दे देते हैं। ज्यादातर पोस्टमार्टम हत्या या फिर ऐसे मामले में किया जाता है जिसमें व्यक्ति की हालत खराब दिखाई देती है।
मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से हमेशा व्यक्ति की मौत के करीब 6 से लेकर 10 घंटे के अंदर अंदर ही पोस्टमार्टम करना जरूरी है। क्योंकि जैसे-जैसे समय ज्यादा बिततंजाएगा मृत शरीर के अंदर प्राकृतिक परिवर्तन नजर आने लगेंगे जैसे कि शरीर टाइट होने लगेगा, उसमें ऐंठन होने लगती हैं।
चलिए अब बताते हैं कि पोस्टमार्टम हमेशा सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक के बीच में ही क्यों होता है। असल में रात के समय जब पोस्टमार्टम होता है तो ट्यूबलाइट या फिर एलईडी की रोशनी की वजह से मृत्यु शरीर के चोट का रंग लाल की बजाए बैंगनी दिखाई देता है और जब यह रिपोर्ट फॉरेंसिक साइंस में जाती है तो वहां पर बैंगनी रंग के चोट का किसी भी तरह का उल्लेख नहीं है।
अगर बात की जाए धार्मिक नजरिए से तो कुछ लोग इसलिए भी रात में पोस्टमार्टम नहीं करवाते हैं क्योंकि धर्म के अनुसार रात में किसी भी तरह से अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए।