अक्सर आपने अनाज, सब्जियों की खेती होती तो जरूर देखी होगी। परंतु क्या आपने सांपों की खेती होते हुए देखी है? आप यह देखकर जरूर आप सोच में पड़ जाएंगे। कि सांपों की खेती आखिर कैसे हो सकती है? आज इस लेख में हम आपको सांपों की खेती के बारे में बताएंगे।
सांपों की खेती का सच!
सांपों की खेती भारत के पड़ोसी देश चीन के 1 गांव में की जाती है। इस गांव की लाखों की आबादी केवल सांपों की खेती पर ही निर्भर है। चीन के जिसिकियाओ गांव में लाखों की संख्या में अनेकों प्रकार के सांप पाले जाते हैं। इनमें से 30 लाख से भी अधिक जहरीले सांप होते हैं। यहां खेती किए जाने वाले सांपों में विशाल कोबरा, अजगर, और जहरीले वाइपर सहित कई जानलेवा सांप शामिल हैं। इन सांपों को पालना ही केवल यहां का उद्देश्य नहीं होता, यहां अलग-अलग प्रजातियों के सांपों की ब्रीडिंग भी करवाई जाती है। पूरी दुनिया में इसे स्नेक फॉर्मिंग(Snake forming) के नाम से जाना जाता है।
इस गांव में एक व्यक्ति के पास कम से कम 30 हजार साल हर साल पाले जाते हैं। यहां के लोगों को सापं पालते पालते उनकी इतनी आदत पड़ गई है, कि वह सांपों से नहीं डरते। परंतु यहां के लोग केवल एक ही प्रकार के सांप से सबसे ज्यादा डरते हैं जिसका नाम है फाइव स्टेप स्नेक। अब आपके मन में यह प्रश्न जरूर उठ रहा होगा कि इस सांप का नाम फाइव स्टेप कैसे पड़ गया? तो हम आपको बता देते हैं। कि ऐसा माना जाता है, इस सांप के काटने के बाद कोई भी व्यक्ति पांच कदम से ज्यादा नहीं चल पाता। उसकी मृत्यु हो जाती है।
आखिर क्यों होती है सांपों की खेती?
ऐसा माना जाता है कि चीन में सांपों का मांस बड़े ही शौक से खाया जाता है। कारणवश यहां सांपों की खेती की जाती है। यह लोग सांपों के मांस और शरीर के अंगों को बाजार में बेचते हैं। सांप का मांस बाजार में बेचने के साथ-साथ सांपों के अंगों को भी दवाइयों का निर्माण करने के लिए बेचा जाता है।
कब और कैसे शुरू हुआ सांपों का व्यापार?
जिसिकियाओ गांव में वैसे तो अन्य खेती भी की जाती है, जैसे कि कपास झूठ और चाय की खेती। परंतु यदि आज के समय में देखा जाए तो यह गांव सांपों की खेती करने के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों से पता चला है, कि वह पहले सांपों को बूचड़खाने में इकट्ठा करते हैं। उसके बाद वे सभी सांपों का जहर निकाल देते हैं। और उनका सर काट देते हैं। जहर निकालने के बाद इन सांपों के अंगों को और मांस को बेचा जाता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद सांपों के चमड़े को धूप में सुखाया जाता है। फिर बाद में इस चमड़े के बैग बनाकर बाजार में बेचे जाते हैं।