पुनर्जन्म वास्तविकता या कल्पना

पुनर्जन्म की पहेली

पुनर्जन्म! एक ऐसी घटना जो कथा कहानी और किताबों में ही अच्छी लगती है। आम तौर पर हम आप इसे अंधविश्वास, कल्पना, डराने का ढोंग अथवा अविश्वसनीय तथ्य मान कर नकार देते हैं।लेकिन कहा जाता है कि प्रत्येक तर्क को सिद्ध करने हेतु प्रमाण की आवश्यकता होती है और प्रमाण (rebirth facts) के परिणाम से हम तथ्य को स्वीकार या अस्वीकार करते हैं।पुनर्जन्म के वास्तविक किस्सों से अवगत कराने हेतु वार्तालाप ने कुछ जानकारियां इकट्ठी की और उसके आधार पर एक रोचक सच्ची घटना हम आपको बता रहे हैं जो ना केवल आपको आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय लगेगी अपितु यह सिद्ध भी करेगी कि पुनर्जन्म पर भी विश्वास किया जा सकता है।

पुनर्जन्म की कहानी

घटना सन 1956 की है, दिल्ली शहर के एक क्षेत्र में गोपाल नाम के एक बच्चे का जन्म होता है, समय के साथ आयु बढ़ने पर बालक के जीवन में भी परिवर्तन होता है। लगभग 18 वर्ष की उम्र में इस गोपाल नाम के युवक ने कुछ ऐसा कहा कि सभी विस्मृत हो गए, इस बच्चे ने बताया कि मेरा नाम गोपाल है ही नहीं, मेरा नाम तो शक्ति पाल है और मैं यहां का नहीं हूं, मैं कृष्ण की नगरी मथुरा का हूँ। बात हैरान करने वाली थी, सबको लगी कि गोपाल कोई कल्पना कर रहा है या किसी सपने के प्रभाव में है, लेकिन गोपाल ने अपनी बात सिद्ध करने के प्रयास से बताया कि उसकी हत्या उसके भाई द्वारा गोली मार कर की गई थी एवं पूर्वजन्म में उसका सुख संचारक नाम की दवाइयों की कंपनी थी।

पुनर्जन्म की सच्चाई (Rebirth Facts)

अब इतनी ठोस जानकारी का पता लगाना भी आवश्यक था, जब परिवार वालो ने इसकी जांच की तो सच में उन्हें ज्ञात हुआ कि आज से 18 वर्ष पूर्व वास्तव में मथुरा में यहीं घटना (rebirth facts) हो चुकी है और सुख संचारक नाम की दवा कम्पनी वाले शक्ति पाल की हत्या उसके भाई द्वारा की गई थी।

बात हवा और आग से भी तेज़ फैली और शक्ति पाल की पत्नी तथा भाभी के पास पहुंची, जब उन लोगों ने यह बात सुनी तो वे दिल्ली आए, गोपाल (शक्ति पाल) ने जब उन्हें देखा तो तुरन्त पहचान गया और इतना ही नहीं उसने कई किस्से भी बताए जिससे यह सिद्ध होता था कि वह शक्ति पाल ही है। जब शक्ति पाल को मथुरा ले जाया गया तो उसने तो अपने सभी रिश्तेदारों को नाम और रिश्ते के साथ पहचान लिया अब इतने प्रत्यक्ष प्रमाण मिले तो कोई और जांच क्या होती। घटना अविश्वसनीय अवश्य है लेकिन सत्य है और ऐसी घटनाएं ही हमें विवश करती हैं कि हम पुनर्जन्म को भी स्वीकार करें और मानें कि पुनर्जन्म भी इस संसार मे विद्यमान है और इसके भी परिणाम प्राप्त हुए हैं।

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